आंध्र प्रदेश, जहां के 5.23 लाख किसान इस मिशन में जुड़ चुके हैं. जबकि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और केरल ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. बाकी राज्य इस मामले में जीरो हैं.
किस राज्य में कितने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती
जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग (ZBNF) के तहत आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 2.03 लाख हेक्टेयर में किसान खेती कर रहे हैं. दूसरे नंबर पर है कर्नाटक जहां 19609 और तीसरे पर हिमाचल प्रदेश है जहां 1512 हेक्टेयर में ऐसी खेती शुरू हुई है. कृषि के जानकारों का कहना है कि आंध्र प्रदेश में इस खेती में किसान दिलचस्पी दिखा रहे हैं तो इसकी वजह भी है. वहां पर इसके प्रमोशन के लिए सरकार ने 280.56 करोड़ रुपये खर्च किए हैं .
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
जीरो बजट खेती को लेकर कृषि विशेषज्ञ बंटे हुए हैं. मशहूर कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि खेती का यह मिशन सही दिशा में जा रहा है. दो साल में ही 5.78 लाख किसानों का इससे जुड़ना बड़ी बात है. इस खेती से किसान खुशहाल होगा और उसका उत्पाद खाने वालों की सेहत ठीक रहेगी. जबकि राष्ट्रीय किसान संघ के फाउंडर मेंबर बीके आनंद इस खेती को व्यवहारिक नहीं मानते. उनका कहना है कि इस खेती का नाम लेना बहुत अच्छा लगता है लेकिन इससे उत्पादन कम हो जाएगा.
क्या होती है जीरो बजट खेती?
जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर निर्भर होती है. इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. इसमें रासायनिक खाद के स्थान किसान खुद गोबर से तैयार की हुई खाद बनाते हैं. ऐसी खाद गाय-भैंस के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिटटी तथा पानी से बनाई जा सकती है. इसमें नीम और गौमूत्र का कीटनाशक इस्तेमाल किया जाता है.